SEBI ने बदले नियम, अब स्टॉक एक्सचेंज और डिपॉजिटरीज के डायरेक्टर तुरंत नई नौकरी नहीं पकड़ पाएंगे। जानिए नया बदलाव क्या कहता है।
SEBI का बड़ा कदम: डायरेक्टर्स की जॉब शिफ्ट पर सख्ती
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने एक अहम फैसला लेते हुए स्टॉक एक्सचेंज, डिपॉजिटरी और क्लियरिंग कॉर्पोरेशनों के टॉप डायरेक्टर्स के जॉब स्विच पर ब्रेक लगाने वाला नया नियम लागू कर दिया है।
अब ऐसे संस्थानों के एमडी, सीईओ, और डायरेक्टर तुरंत किसी दूसरी संबंधित संस्था में नौकरी नहीं ले पाएंगे। सेबी का यह कदम कॉर्पोरेट गवर्नेंस और डेटा सिक्योरिटी को मज़बूती देने के इरादे से उठाया गया है।
क्यों लाए गए ये नए नियम?
SEBI को लंबे समय से यह चिंता थी कि टॉप लेवल एग्जीक्यूटिव्स अगर एक संस्था छोड़ते ही तुरंत दूसरी संबंधित संस्था में चले जाते हैं, तो इससे कॉन्फिडेंशियल डेटा और अंदरूनी जानकारी का गलत इस्तेमाल हो सकता है।
इसलिए अब ऐसे डायरेक्टर्स को एक ‘कूलिंग-ऑफ पीरियड’ से गुजरना होगा, ताकि वह संस्था से संबंधित गोपनीय जानकारियों का दुरुपयोग न कर सकें।
क्या कहता है नया नियम?
नए नियमों के मुताबिक, कोई भी मौजूदा या पूर्व डायरेक्टर, जब तक सेबी की मंजूरी न मिले, तब तक किसी अन्य एक्सचेंज, डिपॉजिटरी या क्लियरिंग कॉर्पोरेशन में महत्वपूर्ण पद नहीं ले सकेगा।
इसके अलावा, इस नियम का उल्लंघन करने पर उस नियुक्ति को अमान्य घोषित किया जा सकता है, जिससे संबंधित संस्थानों को भी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
बाजार पर क्या पड़ेगा असर?
इस फैसले से बाजार में पारदर्शिता और निष्पक्षता को बढ़ावा मिलेगा। अब टॉप मैनेजमेंट में ट्रांजिशन सोच-समझकर होगा और इससे रेगुलेटरी सिस्टम भी मज़बूत होगा।
बड़े पदों पर बैठे लोग अब केवल व्यक्तिगत लाभ के लिए संस्थाएं नहीं बदल पाएंगे, जिससे सिस्टम में प्रोफेशनलिज़्म और जवाबदेही आएगी।
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